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शंख क्यों बजाएं, क्या है इसका धार्मिक महत्व ?

शंख बजाने का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। इसे एक पवित्र और शुभ उपकरण माना जाता है। शंख को विशेष रूप से पूजा-पाठ, अनुष्ठान और अन्य धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। शंख बजाने का न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

शंख का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इसे अक्सर भगवान विष्णु के साथ देखा जाता है, जो हमेशा शंख को अपने हाथ में पकड़े रहते हैं। शंख का रूप और उसकी ध्वनि भी शुद्धता, सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान शंख अमृत कलश के साथ प्रकट हुआ था। इसके साथ कई अन्य चीजें भी समुद्र मंथन से बाहर आई थीं, लेकिन शंख का विशेष स्थान है। माना जाता है कि शंख बजाने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और बल का वास होता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है।

शंख बजाने का पौराणिक महत्व

शंख का पौराणिक महत्व भी बहुत गहरा है। शंख बजाने को किसी विशेष अवसर पर शुभ और पूजन योग्य माना जाता है। माना जाता है कि जब शंख को बजाया जाता है, तो यह भगवान विष्णु की उपस्थिति को महसूस कराता है। महाभारत में भी शंख का उल्लेख कई बार किया गया है, विशेष रूप से कुरुक्षेत्र के युद्ध में, जब कर्ण ने शंख बजाया था। यह शंख बजाने का अवसर विशेष रूप से युद्ध की शुरुआत के समय महत्वपूर्ण था।

इसके अलावा, शंख को बजाने से घर में शुभ संकेत मिलते हैं। इसे घर में रखने और बजाने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

शंख को कैसे बजाएं?

शंख बजाने का एक विशेष तरीका होता है, जिसे सही तरीके से करना जरूरी होता है ताकि इसका सही प्रभाव हो सके।

1.सही आकार का शंख चुनें : शंख को चुनते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह पूरी तरह से साफ और दोष रहित हो। शंख की बनावट को देखना जरूरी है, ताकि वह बजाने योग्य हो।

2.साफ और पवित्र स्थान पर बैठें : शंख बजाने से पहले पवित्र स्थान पर बैठकर शुद्ध होना जरूरी है। इसे पूजा स्थल या घर के किसी शांत स्थान पर बजाना चाहिए।

3.हाथ की स्थिति : शंख को दाहिने हाथ में पकड़ें और अंगूठे और पहली अंगुली से शंख के मुंह को थामें। शंख को होठों के पास लाकर ध्वनि उत्पन्न करें।

4. सांस भरने का तरीका : शंख बजाने से पहले गहरी सांस लें और धीरे-धीरे शंख से हवा बाहर निकालें। शंख बजाने के दौरान आवाज को नियंत्रित करने की कोशिश करें।

5.नियमित रूप से बजाएं : शंख को पूजा के दौरान नियमित रूप से बजाना चाहिए। इसे विशेष रूप से सूर्यास्त और सूर्यास्त के समय बजाना शुभ माना जाता है।

शंख बजाने से होने वाले फायदे

शंख बजाने से केवल वातावरण ही नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन तंत्र को मजबूत करता है। शंख की ध्वनि सुनने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है। इसके अलावा, यह हृदय और मस्तिष्क को भी शांति प्रदान करता है।

शंख बजाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, घर के सभी सदस्य मानसिक शांति और खुशी का अनुभव करते हैं। इसे बजाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और किसी भी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है।

शंख बजाना हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र कार्य है, जो जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और सकारात्मकता लाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके वैज्ञानिक लाभ भी हैं। शंख को सही तरीके से बजाना और उसका उपयोग करना शुभ माना जाता है, और यह जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

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Author: PanditJee.com

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