कार्तिक मास में तुलसी पूजा से जुड़ीं गलतियां जो भूलकर भी नहीं करनी चाहिए |
तुलसी के पत्ते न तोड़ें:
कार्तिक मास के दौरान विशेष रूप से रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना जाता है। इन दिनों तुलसी माता का विश्राम समय होता है, इसलिए पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है।
लोहा या धातु के बर्तन में जल अर्पण न करें:
तुलसी के पौधे में लोहे या किसी धातु के बर्तन में जल चढ़ाना वर्जित है। इसके बजाय मिट्टी, तांबा, या कांसे के बर्तन में जल चढ़ाना चाहिए।
तुलसी के पौधे के पास अपवित्र वस्त्र न पहनें:
तुलसी पूजा के समय शुद्ध और साफ कपड़े पहनने चाहिए। गंदे या अपवित्र वस्त्र पहनकर पूजा करना अशुभ माना जाता है।
रात में जल न चढ़ाएं:
तुलसी को सुबह के समय ही जल चढ़ाना चाहिए। शाम या रात में तुलसी को जल अर्पण करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय तुलसी को जल देने की परंपरा नहीं है।
तुलसी के पौधे को अकेला न छोड़ें:
कार्तिक मास में विशेष रूप से तुलसी माता की नियमित पूजा और देखभाल करनी चाहिए। तुलसी के पौधे को सूखा और बेजान नहीं छोड़ना चाहिए। नियमित रूप से जल देना और पौधे की सफाई करना आवश्यक है।
तुलसी के पौधे के पास मांसाहारी भोजन न करें:
तुलसी के पौधे के पास मांस, मछली या शराब का सेवन करने से बचना चाहिए। यह पौधा पवित्रता का प्रतीक है, और उसके आसपास अशुद्ध आचरण करना वर्जित माना जाता है।
दीपक को बुझने न दें:
तुलसी के पास जलाया गया दीपक कभी बुझना नहीं चाहिए। कार्तिक मास में तुलसी माता के पास प्रतिदिन दीपक जलाना शुभ होता है, और इसे हवा या किसी अन्य कारण से बुझने न दें।
इन नियमों का पालन करके कार्तिक मास में तुलसी पूजा का सही तरीके से महत्व समझा जा सकता है और इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।