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महाभारत की लड़ाई कुरुक्षेत्र में हुई, कितना जानते हैं आप?

कुरुक्षेत्र हरियाणा राज्य में स्थित एक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है। इसे धर्मक्षेत्र भी कहा जाता है, क्योंकि यहीं महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। यह स्थान न केवल भारतीय इतिहास में, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही वह भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

कुरुक्षेत्र का भूगोल और पौराणिक महत्व

कुरुक्षेत्र को प्राचीन काल में “समन्तपंचक” के नाम से जाना जाता था। यह स्थान लगभग 48 कोस के क्षेत्र में फैला हुआ था। इसके चारों ओर कई पवित्र सरोवर और तीर्थस्थल थे। आज भी ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसर, और सन्निहित सर जैसे स्थल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

कुरुक्षेत्र का उल्लेख ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में भी मिलता है। इन ग्रंथों में इसे पवित्र यज्ञों और तपस्थली के रूप में वर्णित किया गया है।

महाभारत का युद्ध और इसका महत्व

महाभारत का युद्ध पांडवों और कौरवों के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर 18 दिनों तक चला। इस युद्ध का कारण कौरवों का अन्याय, द्रौपदी का चीरहरण और राज्य पर कब्जा करना था। युद्ध में दोनों पक्षों ने कुल 18 अक्षौहिणी सेना लगाई थी। युद्ध के दौरान बड़े-बड़े योद्धा, जैसे भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण और अभिमन्यु जैसे वीरगति को प्राप्त हुए।

गीता का उपदेश और अर्जुन का धर्म संकट

महाभारत के युद्ध के आरंभ में अर्जुन ने अपने ही परिवार और गुरुजनों के खिलाफ युद्ध करने से इनकार कर दिया। अर्जुन के इस धर्म संकट को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। गीता के उपदेश केवल अर्जुन के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसमें जीवन के सिद्धांत, धर्म का महत्व और कर्मयोग का संदेश दिया गया है।

युद्ध का परिणाम और प्रभाव

महाभारत का युद्ध धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष का प्रतीक है। युद्ध के अंत में कौरवों का विनाश हुआ और पांडवों ने धर्म की विजय के साथ हस्तिनापुर का राज्य प्राप्त किया। हालांकि, इस युद्ध ने कई परिवारों को समाप्त कर दिया और समाज में गहरे घाव छोड़े।

आधुनिक काल में कुरुक्षेत्र का महत्व

आज कुरुक्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां हर साल गीता जयंती महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आते हैं। कुरुक्षेत्र न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह सत्य, धर्म और ज्ञान का केंद्र भी है। यहां के पवित्र स्थलों पर जाकर लोग अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

कुरुक्षेत्र भारतीय इतिहास, धर्म और संस्कृति का अमूल्य हिस्सा है। यह स्थान न केवल महाभारत के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी विशेष स्थान रखता है। महाभारत और गीता का संदेश आज भी प्रासंगिक है और जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने का मार्गदर्शन करता है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। क्लि इंडिया मीडिया यहां लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में जो जानकारी दी गई है, वो विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से ली गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। क्लिक इंडिया मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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Author: PanditJee.com

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