जानें, कब समाप्त होता है मंगल दोष का प्रभाव ?
मंगल दोष को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह को ऊर्जा, साहस और शक्ति का कारक माना जाता है। कुंडली में मंगल का मजबूत होना व्यक्ति को साहसी और पराक्रमी बनाता है। लेकिन अगर मंगल कमजोर हो या अशुभ स्थान पर स्थित हो, तो इसे मंगल दोष कहा जाता है।
कुंडली में प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल होने पर जातक को मांगलिक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल दोष से पीड़ित जातक को विवाह में देरी और वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मंगल दोष का प्रभाव कई बार 28 वर्ष की उम्र के बाद समाप्त हो जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति कैसी है। कई मामलों में, गुरु या शुक्र ग्रह के साथ मंगल होने पर इसका प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, स्वराशि में मंगल होने पर भी दोष का प्रभाव समाप्त हो सकता है। लेकिन इस बात का सही आकलन किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली की जांच कराकर ही किया जाना चाहिए।
अगर कुंडली में प्रबल मंगल दोष हो, तो इसका निवारण करना जरूरी होता है। इसके लिए ज्योतिषी हनुमान जी की पूजा, मंगलनाथ मंदिर में भात पूजन और मंगलवार को लाल रंग की चीजों का दान करने जैसे उपाय बताते हैं। मंगल दोष निवारण के लिए योग्य पंडित की उपस्थिति में विशेष पूजा या अनुष्ठान करना भी लाभकारी माना जाता है।
हनुमान जी की पूजा मंगल दोष को कम करने में बहुत प्रभावी मानी जाती है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ, सुंदरकांड का पाठ, और भगवान को गुड़-चने का भोग लगाना शुभ माना गया है। इसके साथ ही लाल रंग की वस्तुओं का दान करने से भी मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि मंगल दोष का प्रभाव हर व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग होता है। इसलिए उचित उपाय करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।
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