धनतेरस का महत्व और पूजा विधि |
धनतेरस हिंदू धर्म में दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है और इसे धनत्रयोदशी या धनवंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इसका विशेष महत्त्व स्वास्थ्य, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, जो चिकित्सा और आयुर्वेद के देवता हैं, उनका पूजन किया जाता है।
धनतेरस का महत्व:
धन का अर्थ संपत्ति से है, और तेरस का मतलब 13वां दिन होता है। इस दिन को शुभ माना जाता है, खासकर सोना, चांदी, बर्तन, या अन्य कीमती धातुओं की खरीदारी के लिए। धनतेरस को स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के साथ भी जोड़ा जाता है क्योंकि यह भगवान धन्वंतरि का दिन है, जो समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
पूजन विधि:
घर की साफ-सफाई: सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। दीप जलाने का भी विशेष महत्त्व होता है।
धनवंतरि पूजा: भगवान धनवंतरि की पूजा करें, उन्हें पुष्प, धूप, दीप, फल, और मिठाई अर्पित करें। “ॐ धन्वंतरये नमः” मंत्र का जाप करें।
दीप जलाना: इस दिन को दीपदान के लिए भी शुभ माना जाता है। शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर और घर के अन्य हिस्सों में दीप जलाएं। यह भी माना जाता है कि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
खरीदारी: परंपरागत रूप से इस दिन धातु से बनी वस्तुएं जैसे सोना, चांदी, या बर्तन खरीदने का रिवाज है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
धन और लक्ष्मी पूजा: इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा भी की जाती है। माँ लक्ष्मी से घर में धन और समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना की जाती है।
धार्मिक मान्यता:
धनतेरस का प्रमुख उद्देश्य संपत्ति और स्वास्थ्य की वृद्धि की कामना करना होता है। इस दिन सोने, चांदी, और बर्तनों की खरीदारी को शुभ माना जाता है और इससे घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। धनतेरस पर पूजा और खरीदारी के साथ-साथ परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना करना महत्वपूर्ण है।