नागा साधु को देखा है लेकिन क्या आपको पता है कितना कठिन है नागा साधु बनने की प्रक्रिया?
महाकुंभ का आयोजन अगले साल जनवरी में शुरू होने वाला है। इस बार यह प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं। इनमें नागा साधु विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं। क्या आप जानते हैं, नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है? आइए, नागा साधु बनने की प्रक्रिया और इससे जुड़े नियमों को विस्तार से समझते हैं।
नागा साधु बनने की प्रक्रिया
अगर कोई व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है, तो सबसे पहले उसे किसी अखाड़े के सामने अपनी इच्छा जाहिर करनी होती है। इसके बाद अखाड़े की समिति उस व्यक्ति के जीवन और उसकी पृष्ठभूमि की गहराई से जांच करती है। जब यह तय हो जाता है कि वह व्यक्ति नागा साधु बनने के योग्य है, तब उसे अखाड़े में शामिल किया जाता है।
नागा साधु बनने के लिए दी जाने वाली परीक्षा
नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इस दौरान उसे ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। वह सांसारिक जीवन और उससे जुड़ी हर चीज का त्याग कर देता है। इसके बाद उसे पंच देव – शिव, विष्णु, शक्ति, सूर्य और गणेश – से दीक्षा लेनी होती है। पंच देव की दीक्षा के बाद ही व्यक्ति को नागा साधु के रूप में स्वीकार किया जाता है।
सांसारिक जीवन का त्याग
नागा साधु बनने के बाद व्यक्ति अपने पुराने जीवन से पूरी तरह नाता तोड़ लेता है। वह खुद का पिंडदान करता है, जो इस बात का प्रतीक है कि वह अब अपने भौतिक जीवन से अलग हो चुका है। नागा साधु भिक्षा में मिले भोजन का ही सेवन करते हैं। अगर किसी दिन भिक्षा नहीं मिलती, तो वह बिना खाए रहते हैं।
नागा साधु के नियम
नागा साधु बनने के बाद व्यक्ति जीवनभर वस्त्र धारण नहीं करता। वस्त्रों को सांसारिकता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए वे अपने शरीर को ढकने के लिए केवल भस्म का उपयोग करते हैं। नागा साधु किसी के सामने सिर नहीं झुकाते, सिवाय बड़े संन्यासियों के। वे न ही किसी की निंदा करते हैं और न ही किसी से अपमानजनक व्यवहार करते हैं।
शाही स्नान की तिथियां
महाकुंभ 2025 में नागा साधु और अन्य श्रद्धालुओं के लिए विशेष शाही स्नान का आयोजन किया गया है। इसके लिए प्रमुख तिथियां इस प्रकार हैं:
– 14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
– 29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या
– 3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
– 12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा
– 26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि
महाकुंभ का यह आयोजन नागा साधुओं की उपस्थिति और उनकी अनोखी परंपराओं के कारण और भी खास हो जाता है। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक परंपराओं का अद्भुत संगम है।