खाटू श्याम जी की पूजा के लिए इस खास दिन का है विशेष महत्व
खाटू श्याम जी को हारे का सहारा और दुखों से उबारने वाला माना जाता है। इनकी विशेष पूजा और अरदास करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। खाटू श्याम जी को तीन बाणों वाले भगवान, हारे का सहारा, शीश का दानी और लख्तादार भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से खाटू श्याम जी के चरणों में अपनी मनोकामना लेकर पहुंचता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है।
खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह मंदिर कई सालों से श्रद्धालुओं का मुख्य केंद्र बन चुका है, और अब तो यहां रोजाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। खास दिन जैसे एकादशी और द्वादशी पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में अगर आप भी खाटू श्याम जी की अरदास करना चाहते हैं तो आइए जानते हैं कि उनके दर्शन के लिए सबसे उत्तम दिन कौन-सा है।
खाटू श्याम जी की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है। बर्बरीक, जो कि भीम के पौत्र और घटोत्कच के बेटे थे, महाभारत के युद्ध में शामिल होना चाहते थे। उनकी माता ने उन्हें यह शर्त दी थी कि वह युद्ध में हारे हुए पक्ष का साथ देंगे। भगवान श्री कृष्ण ने यह जानते हुए कि बर्बरीक जिस दिशा से भी युद्ध लड़ेगा, उसी दिशा में विजय होगी, उन्हें दान में उनका शीश मांग लिया। इसके बाद, भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को आशीर्वाद दिया कि वे कलयुग में खाटू श्याम के नाम से पूजे जाएंगे।
खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए कोई भी दिन अच्छा होता है, लेकिन कुछ खास दिनों में इनकी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। विशेष रूप से फाल्गुन माह की शक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर खाटू श्याम जी के दर्शन का अत्यधिक फल मिलता है। इस दिन, भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। इसके अलावा, द्वादशी तिथि पर भी खाटू श्याम जी के दर्शन करना शुभ माना जाता है।
अगर आप अपने जीवन में कोई परेशानी महसूस कर रहे हैं या आपकी कोई खास इच्छा है, तो खाटू श्याम जी के चरणों में अपनी अरदास जरूर लगाएं। कहते हैं कि इस दिन भगवान श्याम जल्दी से आपकी इच्छाओं को पूरा करते हैं।