इस मंदिर में होते हैं राधा-कृष्ण के साथ देवी रुक्मिणी के दर्शन
रुक्मिणी अष्टमी का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जो देवी रुक्मिणी के जन्म का प्रतीक है। इस दिन भक्त लोग व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। रुक्मिणी अष्टमी का आयोजन हर साल पौष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है, और इस साल यह व्रत 23 दिसंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा करते हैं, और मान्यता है कि इस व्रत से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस खास दिन के अवसर पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां राधा-कृष्ण के साथ देवी रुक्मिणी के दर्शन भी होते हैं। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित है और इसे मुरली मनोहर मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर वह पहला स्थान है, जहां राधा-कृष्ण के साथ माता रुक्मिणी भी विराजमान हैं। यहां पर रुक्मिणी अष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, और इस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
मुरली मनोहर मंदिर का धार्मिक महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहां पर राधा और कृष्ण के साथ-साथ देवी रुक्मिणी की पूजा की जाती है। यह मंदिर उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्व रखता है, जो विवाह या जीवन के अन्य परेशानियों के समाधान की तलाश में हैं। इस मंदिर में पूजा करने से भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।