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हनुमान जी की शिक्षा और ज्ञान के लिए मार्केट में आई नई कॉफी टेबल बुक, शानदार गिफ्ट का बेजोड़ ऑप्शन

बच्चों, आज हम आपको बाल हनुमान की एक ऐसी कथा सुनाएंगे, जो बच्चों को सिखाती है कि ज्ञान प्राप्ति के लिए न केवल जिज्ञासा और प्रयास चाहिए, बल्कि समर्पण और दृढ़ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं और जिसे सुनने के बाद आप कहेंगे कि वाह, हनुमान जी तो बिल्कुल हम बच्चों जैसे ही नटखट थे। एक समय पृथ्वी पर बाल हनुमान अपनी शरारतों और अद्भुत शक्तियों के लिए प्रसिद्ध थे। वे पर्वतों पर कूदते, पेड़ों पर चढ़ते, और कभी-कभी आसमान की ओर उड़ान भरते। उनके माता-पिता, माता अंजना और पिता केसरी, जानते थे कि उनका पुत्र असाधारण है। लेकिन उन्हें यह भी पता था कि शक्ति का सही उपयोग तब ही संभव है जब उसके साथ ज्ञान हो।

एक दिन, उनकी माता ने कहा, पुत्र, तुम्हारे पास अतुल्य शक्ति है, लेकिन यह शक्ति तभी सार्थक होगी जब तुम्हारे पास विद्या और ज्ञान होगा। बाल हनुमान ने माता की बात गहराई से समझी। उनका हृदय ज्ञान प्राप्त करने की लालसा से भर गया।

हनुमान जी की जिज्ञासा उन्हें सबसे श्रेष्ठ गुरु की तलाश में ले गई। उन्होंने सोचा, कौन ऐसा हो सकता है जो मुझे समस्त वेद, शास्त्र और उपनिषद सिखा सके? विचार करते-करते उनका ध्यान सूर्यदेव पर गया। उन्होंने सोचा कि सूर्यदेव प्रकाश और ज्ञान के प्रतीक हैं। उनसे श्रेष्ठ गुरु कौन हो सकता था?

बाल हनुमान सूरज की ओर बढ़े। उन्होंने सूर्यदेव के पास जाकर प्रणाम किया और कहा, हे प्रभु, कृपया मुझे अपना शिष्य बनाएं और मुझे शिक्षा प्रदान करें। सूर्यदेव ने उनकी ओर देखा और कहा, वत्स, मैं हमेशा गतिशील हूं। मेरे पास समय नहीं है कि मैं रुककर तुम्हें सिखा सकूं।

लेकिन बाल हनुमान ने हार नहीं मानी। उन्होंने उत्तर दिया, हे सूर्यदेव, मैं आपके साथ-साथ चलते हुए आपकी शिक्षाएं ग्रहण करूंगा। मुझे केवल आपका आशीर्वाद चाहिए। सूर्यदेव उनकी दृढ़ता, समर्पण और ज्ञान प्राप्त करने की बलवती इच्छा देखकर प्रसन्न हुए और उन्हें अपना शिष्य बना लिया।

हनुमान जी ने सूर्यदेव से चारों वेद, उपनिषद और शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने न केवल शिक्षा पाई, बल्कि विनम्रता, सेवा, और धर्म का महत्व भी समझा। यह सब सीखते हुए वे सदा सूर्यदेव के साथ चलते रहे। सूर्यदेव ने उनके प्रयासों और निष्ठा से प्रभावित होकर उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, हे हनुमान, तुम केवल विद्या में निपुण नहीं हो, बल्कि शक्ति, भक्ति और विनम्रता का भी प्रतीक हो।

तो बच्चों यह कथा सिखाती है कि ज्ञान प्राप्ति के लिए न केवल जिज्ञासा और प्रयास चाहिए, बल्कि समर्पण और दृढ़ता भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। हनुमान जी ने हमें यह सिखाया कि शिक्षा जीवन का आधार है और इसे विनम्रता और लगन के साथ ग्रहण करना चाहिए।

और इस कथा को सचित्र देखना, समझना हो तो आप अश्वत्था पब्लिकेशन की हनुमान चालीसा को पढ़ सकते हैं, क्योंकि इसी प्रेरक गाथा को वह पुस्तक और भी सरल और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करती है। इसके माध्यम से बच्चे न केवल हनुमान जी की शिक्षा और ज्ञान की महिमा को समझते हैं, बल्कि हनुमान जी के बड़े-बड़े और मनमोहक चित्र के माध्यम से उनके जीवन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं। इस चालीसा में ऐसे सुंदर चित्र और सरल भाषा का उपयोग किया गया है, जो बच्चों को हनुमान जी की कथा से जोड़ने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनती है। इस पुस्तक की खास बात यह है कि यह हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में लिखी गई है। यह कॉफी टेबल बुक की तरह है और सबसे बड़ी बात कि यह पुस्तक बच्चों और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो रही है। जन्मदिन, त्योहार या किसी खास अवसर पर यह आदर्श उपहार बन सकती है। यह न केवल उन्हें सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ती है, बल्कि भक्ति, संस्कार और जीवन में संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा भी देती है।

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Author: Panditjee

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