कार्तिक मास में व्रत रखने के नियम और लाभ
1.कार्तिक मास की कथा:
कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर) का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इसे भगवान विष्णु और शिव जी का प्रिय महीना माना जाता है। कथा के अनुसार, एक बार दैत्यराज दैत्यासुर के आतंक से परेशान देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने उन्हें आश्वासन दिया कि कार्तिक मास में जो भी भक्त श्रद्धा से उनकी पूजा करेगा, उसके सभी कष्ट दूर होंगे। इस माह में दीप जलाने और तुलसी माता की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है।
2. व्रत के नियम:
कार्तिक मास के दौरान लोग कई तरह के व्रत करते हैं। कुछ मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
स्नान: रोज सुबह जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना या फिर घर पर ही पवित्र स्नान करना चाहिए।
उपवास: पूरे महीने या किसी विशेष दिन पर उपवास रखा जाता है। उपवास में फलाहार किया जा सकता है।
सादा भोजन: जो लोग उपवास नहीं रखते, वे भी सादा और सात्विक भोजन (बिना प्याज-लहसुन के) करते हैं।
दीपदान: कार्तिक मास में दीप जलाना बहुत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
भगवान की पूजा: भगवान विष्णु की विशेष पूजा करनी चाहिए। साथ ही तुलसी माता का पूजन भी आवश्यक है।
3. व्रत की विधि:
सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
भगवान विष्णु, लक्ष्मी और तुलसी माता की पूजा करें।
दिन भर व्रत रखें और शाम को तुलसी माता के पास दीप जलाएं।
विष्णु भगवान का ध्यान करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
संध्या के समय दीप जलाकर, भगवान की आरती करें और फिर व्रत खोलें।
4. कार्तिक मास की महिमा:
कार्तिक मास को सभी महीनों में सबसे पवित्र माना जाता है। इस महीने में किया गया कोई भी पुण्य कार्य (दान, पूजा, उपवास) कई गुना फल देता है।
मान्यता है कि इस महीने व्रत रखने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी पूजा और दीपदान से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में शांति बनी रहती है।
कार्तिक मास का व्रत और पूजा हर किसी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक सरल और प्रभावशाली तरीका माना जाता है।