रक्षाबंधन 2024 – शुभ मुहूर्त एवं परंपराओं का महत्व
रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र और अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। भाई इस राखी को अपने जीवन की रक्षा का प्रतीक मानते हैं और बहन को हर संकट से बचाने का वचन देते हैं। यह त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा के दिन धूमधाम से मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्त्व है। सही मुहूर्त में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में और भी अधिक शुभता आती है। इस साल रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक है। इस अवधि के दौरान राखी बांधना सबसे उत्तम रहेगा। इस समय में भाई-बहन का प्रेम और सुरक्षा का बंधन और भी मजबूत होता है। भद्राकाल में राखी बांधने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। इस साल भद्राकाल सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा। अतः इस समयावधि में राखी बांधने से बचें।
रक्षाबंधन की परंपराएं
रक्षाबंधन के दिन बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पूजा की थाली तैयार करती हैं। इस थाली में राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई, और नारियल रखे जाते हैं। भाई को तिलक लगाने के बाद, बहनें राखी बांधती हैं और आरती उतारती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को मिठाई खिलाते हैं और उपहार देते हैं। इस दिन हलवा-पूरी, खीर और लड्डू जैसी मिठाइयाँ विशेष रूप से बनाई जाती हैं, जो इस पर्व को और भी मधुर बनाती हैं।
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का महत्व केवल राखी बांधने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गहराई, स्नेह और आत्मीयता को दर्शाता है। यह दिन भाई-बहन के बीच के पुराने मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे के साथ समय बिताने और रिश्ते को और भी मजबूत करने का अवसर होता है। रक्षाबंधन समाज में भाईचारे, आपसी स्नेह और मेल-मिलाप का भी प्रतीक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि परिवार और रिश्तों का मूल्य कितना अनमोल है।
रक्षाबंधन के इस पावन अवसर को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, और यह पर्व हर भाई-बहन के रिश्ते को एक नया आयाम देता है। इस रक्षाबंधन, शुभ मुहूर्त में राखी बांधकर इस पवित्र बंधन का आनंद लें और अपने भाई-बहन के साथ इस खास दिन को मनाएं।